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लीडरकी भूल


इसकी समीक्षा परीक्षा अवश्य की होगी। प्राय: ६ मास होते हैं कि महात्मा गान्धोजीने अब्दुल अजीजके पत्रक उत्तरमे निम्न लिखित शब्द लिखे थे :-

यदि आपके पास सविनय प्रतिरोधके अतिरिक्त और कोई उपचार है तो आप उसका प्रयोग अवश्य कीजिये और यदि आपको सफलता मिली तो सत्याग्रह आपसे आप ही मर जायगा। जितने दिनोंतक सत्याग्रह रुका रहेगा उतने दिनोंतक आपको तथा उन अन्य नेताओंको-जो कि सत्याग्रहको हौआ समझ कर उससे डरते हैं अपने अपने तरीके बरतने का और उससे अभिवाछित फल की प्राप्तिका अच्छा अवसर मिला है। आप लोगोंको अपनी शक्तिभर चेष्टा कर लेनी चाहिये।"

दूसरे महात्माजीके बयानका वही अंश लेकर कि 'सत्याग्रह आन्दोलनसे कितने ही लोगोके हृदयमें कानूनकी मर्यादाकी अवज्ञाके भाव आ गये हैं', लीडर पत्र लिखता है कि यदि सत्याग्रह आन्दोलन कुछ समय तक और जारी रहता तो इसका विषेला असर और भी बहुत लोगों पर पड़ा होता और इससे बहुत बुरा परिणाम निकलता । लीडरकी आशंका तो यहां तक बढ़ गई है कि इस आन्दोलनसे लोगोंके हृदयोंमें अराजकताके भाव उदय होनेकी भी सम्भावना थी। पर अपनी इस आशङ्काके समर्थनके लिये न तो लीडरने किसी घटनाका उल्लेख किया है और न तर्कसे ही काम लिया है। हमारी तो यही धारणा है--और यही यथार्थ है-कि सत्याग्रह