पुरानी डफली पीटता है। अन्तमें उसने लिखा है :-'सव साधा.रणमें यह योग्यता नही है कि वह सत्याग्रहके सिद्धान्तोंको
मफलता पूर्वक अङ्गीकार कर सकें।'
महात्मा गान्धीने हण्टर कमेटीके सामने बयान देते हुए इन
सभी एतराजोका पूरी तरहसे उत्तर दिया है। सत्याग्रह
आन्दोलनके कुसमय आरम्भ करनेफे विषयमें महात्माजीने
अपने बयानमें कहा है :-"लार्ड चेम्सफोर्ड तथा उन अन्य अंग्रेज
अफमरों के सामने-जिनसे मैं मिलने गया-मैंने विनीत भावसे नम्र
निवेदनके साथ अपने हृदयक भाव प्रगट किथे पर सभोंने एक ही
उत्तर दिया-हम लाचार है, हम लाचार हैं... हम लोगोंके
हाथमें जितने भी अन्य उपाय थे जिनका हम सहारा ले सकते
थे हमने लिया।" व्यवस्थापक समाके सभी गैरसरकारी सद-
स्योंने इस कानूनका घोर विरोध किया। सारे देशने इसका
एक स्वरसे विरोध किया। प्रत्येक स्थानपर सभायें की गई
और हजारो तथा लाखोंकी संख्यामे उपस्थित होकर जनताने एक
मतसे अपनी नाराजी जाहिर को। इस कानूनका विरोध कर.
नेमें कहीं भी मतभेद नहीं था। ऐसी अवस्था में हमारी समझमें
कोई न्याय सङ्गत और सहल तरीका नहीं रह गया था जिसका
प्रयोग नहीं किया गया हो। कदाचित हमारे सहयोगीको कोई
ऐसे गुप्त तरीके मालूम हों। यदि ऐसा कोई उपाय या युक्ति
शेष रह गई थी तो महात्मा गान्धीने सत्याग्रह आन्दोलन स्थगित
करके उन लोगोंको जो अवसर दिया उसमें उन नेताओंने