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लीडर की भूल ।

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( जनवरी २८. १६२० )

प्रयागका लीडर पत्र इस बातके फेर में पडा है कि सत्याग्रह आन्दोलन की बुराई करने में वह सबसे आगे बढ़ा रहे । इस हेतु हण्टर कमेटी के सामने महात्माजी ने जो बयान दिया है उसमें से कुछ अंश उद्धत करके सत्याग्रह आन्दोलन की हीनता दिखलाने में वह इतना व्यग्र है कि वह यह बात भूल ही गया कि महात्माजी ने लिखित बयान भी दिया है और उसपर विचार नहीं किया । अपने बयान में महात्माजी ने स्वीकार किया है कि 'सत्याग्रह आन्दोलन से चन्द लोगों के हृदय में से न्याय की मर्यादा कुछ काल के लिये उठ गई थी ।' इसी बातको लेकर लीडरने आकास पाताल एक करते हुए इस बातको साबित करना चाहा है कि सत्याग्रह आन्दोलनसे क्या भीषण परिणाम हो सकता है। उसने लिखा है---'क्या सत्याग्रह आन्दोलन आरम्भ करने में महात्माजीने जल्दी नहीं की ? क्या रौलट ऐकोको रद्द कर--- नेके न्यायसङ्गत और इससे सहल अन्य तरीके बेकार हो चुके थे 'इस तरह अपने मनको तसल्ली देकर कि सत्याग्रह आन्दोलन कुसमय आरम्भ किया गया वह सार्वजनिक हित साधनके लिये चरित्र बल तथा मानसिक अन्य गुणोंकी आवश्यकता की वही