हिंसा हो ही गई । क्या इससे यह परिणाम नहीं निकलता कि साधारण प्रवृत्तिके लोगोंके लिये अहिंसात्मक रह जाना
कठिन है ?
उत्तर---अनेक कालसे जो लोग हिंसा पर ही चलते आये हैं उनके लिये इसका एकाएक त्याग कठिन है।
प्रश्न---मिस्टर गान्धी, हम लोगोंकी धारणा है कि इस
उपद्रवके लिये पहलेसे ही सङ्गठन किया गया था और लोग
तैयार किये गये थे। क्या इसकी पुष्टि के लिये आप कोई प्रमाण-
यदि आपके पास हो–देकर हम लोगोंकी सहायता कर
सकते हैं ?
उत्तर---आप लोगोंकी धारणा ठीक है। मेरे पास इस
सम्बन्धमे जो कुछ प्रमाण मौजद हैं मैं विना किसी एतराजके
आपके सामने रखनेको प्रस्तुत हूं। पर मैं किसी भी अवस्थामे
उन लोगोंका नाम नहीं बताऊंगा। उन प्रमाणोंसे यही विदित
होता है कि उन लोगोंकी आन्तरिक कामना जानकी हानि कर.
नेकी नहीं थी केवल मालकी हानि करनेकी थी। इस उद्देश्यसे
१० और ११ अप्रेलको एक दल खड़ा किया गया था। इस
विषयमें मैंने उन लोगोंके बयान लिये हैं जिनसे उपद्रव करनेके
लिये कहा गया, जिन्होंने उपद्रव किया और करवाया और उन
लोगोंका जिन्होंने उन घटनाओंको होते देखा था। मेरे पास
इसके अनेक प्रत्यक्ष उदाहरण मौजूद हैं। मेरे पास अनेक
ऐसे लोग आये जिनके पास शस्त्रास्त्र थे और वे उन्हें मेरे