आत्म संयमकी अधिकता है और आवश्यकता पड़नेपर उन्होंने
इसका ज्वलन्त उदाहरण दिया है।
प्रश्न-अच्छी बात है। अहमदाबादकी घटना तो अभी नई है । यहांकी जनताने भी आत्म संयमका अच्छा परिचय दिया था ?
उत्तर-मैं इस बारेमें अधिक नहीं कहना चाहता। पर मुझे केवल इतना ही कहना है यदि आप सारी भारतकी घटनाओंका पर्यवेक्षण करके देखेंगे तो आपको विदित होगा कि जहां कहीं उपद्रव हुआ है वहां यदि आपेसे बाहर हो जानेवालोंकी संख्या दस है तो आत्म संयमकी चरम सीमापर डटे रहनेवालोंकी संख्या १०० है। अहमदाबाद तथा अन्य स्थानोंकी घटनाओंसे यह साबित होता है कि यहांके लोग अभी अपनी आत्मापर पूरा अधिकार नहीं कर सके हैं। पर खैरागढ़की जनताकी क्या अवस्था थी ? पारसाल उनको उभाड़नेके लिये जो उत्तेजनायें दी गई थीं उनके मुकाविलेमें उन्होंने असीम आत्म संयमका परिचय दिया था।
प्रश्न-क्या आपका यह अभिप्राय है कि हिंसाकी इस तरह 'प्रवृत्ति असम्भावित दुर्घटनायें हैं।
उत्तर-नहीं। पर इस तरहकी दुर्घटनायें बहुत ही कम
हुई हैं और ज्यो ज्यों सत्याग्रहके मर्मको लोग समझते जायेंगे
त्यों त्यों इनकी सम्भावना भी उठती जायगी । मेरी समझमें
देशने इस सिद्धान्तके मर्मको भलीभांति समझ लिया है और इस
बातकी आवश्यकता है कि सत्याग्रह एकबार पुनः जारी किया