दक्षिण अफ्रिकाके ४० हजार प्रवासी भारतवासी एक दमसे
अशिक्षित और मूर्ख थे। पर उन्होंने हृदयसे निश्चय कर लिया
था कि वे सत्याग्रही होंगे। यदि आपको ट्रांसवालकी घटनाओं-
का वर्णन सुनाऊँ तो आप चकित हो जायगे कि दक्षिणी
अफ्रिकामें आपके देश भाइयोंने किस साहस और आत्म संयमसे
काम लिया था।
प्रश्न---पर वहाँपर आप सब एक मतके थे?
उत्तर---वहाँसे यहाँकी अवस्था किसी तरह भी खराब नही है। मतैक्यताकी ढ़ता यहाँ कही अधिक है।
प्रश्न---एक बात और थी। वहां आपका कर्तव्य निश्चित था और मार्ग निर्दिष्ट था । पर यहां वह बात नहीं है।
उत्तर---यहांकी अवस्था भी ठीक वहांकीसी है। यहां भी हमलोगों का मार्ग साफ है और कतव्य निर्दिष्ट है अर्थात् रौलट ऐकृका विरोध ।
यहींपर महात्माजीने बतलाया कि हमने जनताको यह बात भलीभांति समझा दिया है कि सत्याग्रहका बल हिंसासे कहीं प्रबल है।
प्रश्न---बराबर यातना सहते रहनेके लिये असाधारण आत्म संयमकी आवश्यकता है ?
उत्तर---किसी तरहके असाधारण आत्म संयमकी आवश्य.
कता नहीं है। हमारी प्रत्येक माताको कितनी यातनाये भोगनी
पड़ती है। मैंने प्रत्यक्ष देख लिया है कि हमारे देशवासियोंमें