यङ्ग इण्डियाका इतिहास इतना विचित्र है और सारपूर्ण
घटनाओं से भरा है कि उसका संक्षिप्त विवरण यहां पर दे देना अनुचित न होगा। यङ्ग इण्डिया के जन्म-दाता बम्बई के धनी सेठ और बेसेण्ट दलके प्रधान कर्णधार श्रीयुत जमनादास द्वारकादास हैं। किसी समय में महात्मा गांधी इनकी अनन्य भक्ति थी। १९१९ में रौलट ऐकृके पास होने के बाद महात्मा गांधोके साथ सबसे पहले आपने सत्याग्रह व्रत ग्रहण किया था और जब्त की हुई पुस्तकों को बेचने का काम उठाया था पर बादका श्रीमती बेसेण्ट का प्रमाव इतना प्रबल पडा कि उन्हें महात्माजी का साथ छोड़ना पड़ा और आज वे ही महात्माजी के असहयोग आन्दोलन के कट्टर शत्रु हो रहे हैं। इसके बाद पत्र का अधिकार एक सिंडिकेट के हाथ में माया जिसमें शंकरलाल हैंकर भी थे। बम्बे का निकल के सम्पादक मिस्टर हार्नि मेंनके निर्वासन तथा बम्बे कानिकल के गला घुंटने के बाद बम्बई के राजनैतिक जीवन को जागृत रखने लिये महात्मा
गांधी की सेवा की आवश्यकता पड़ी और तदनुसार बङ्ग इण्डिया के सम्पादन का भार महात्माजी के हाथमें दे दिया गया और यङ्ग इण्डिया अर्ध साप्ताहिक रूप से निकलने लगा। बम्बे कानिकल की
स्वतंत्रता के बाद महात्माजी ने यंङ्ग इणिडया का कार्यालय महमदा-
पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/२१
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।