उत्तर-सरकारने बड़े धैर्य से काम लिया और उसे भीषण कठिनाईका सामना करना पड़ा । मार्शल ला जारी है ही। जिस गाड़ीमें फौज भर कर आ रही थी उसको उलटनेकी चेष्टा नितान्त अनुचित थी। यदि क्रोध और आवेशमें आकर वे फौजी सिपाही किसी तरहकी ज्यादती कर देते तो उन्हें दोष देना उचित नहीं होता क्योंकि यह स्वाभाविक है। मै फौजी सिपाहियोंकी अवस्थासे भलीभांति परिचित हूं। पर मैनिक शासनके सूचनापत्र जिस भाषामे निकाले गये थे उनको पढ़कर अनेक तरहक भ्रम उत्पन्न हो सकनेकी सम्भावना थी। मुझे जहांतक पता लगा है विना सूचनाके लोगोंपर गालियां चलाई गई। मान लीजिये कि : आदमी कही जा रहे थे और मागमे एक आदमी उनमे मिल गया जो उनका साथो नही था। कंवल उसके मिल जानेसे सैनिक शासनके अनुसार वे दम हो गये . पर पूरी तौरसे विचार करनेपर क्या उनपर गोलो चलाना किसी भी दशामे उचित प्रतीत होगा। और जिन लोगोंको मार्शल लाको घोषणाका पता ही न था उनको सूचना देना किस कामका था ।
प्रश्न-मरकारकी ओरसे जो खास अदालत बैठी थी उसके
बारेमें आपकी क्या राय है ?
ॐ सौनिक शासनमें इस बातकी घोषणाकर दी गई थी कि किसी भी स्थानपर मनिक शासनको सीमाके भीतर यदि दस आदी एक साथ जातं या परम्पर गोष्ठी करत पाये जायंगे तो उनपर फौरन गोली चला दी जायगी।
-अनुवादक