पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१६१

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बात विदित हो गई कि सरकार कितनी भी जोरावर क्यों न हो यदि राष्ट्रकी प्रजाने अपनेको स्वाधीन बनाना तथा उसके लिये यन्त्रणा सहना म्वीकार कर लिया है तो कोई कारण नहीं है कि सरकार सिर न झुकावे. उसे विवश होकर सिर झुकाना ही पड़ेगा। उन्हें विदित हो गया है कि इन अपमानों तथा दीनताओंके कारण स्वयं हम हैं। जिस दिन हम इच्छा कर लेंगे कि कलसे हम अपमानित नहीं होना चाहते, नीच बन कर नहीं रहना चाहते और उसके निमित्त एक होकर डट गये तो फिर क्या मजाल कि कोई हमें जरा भी पीछे हटा मक। इसके लिये भारतकी भिन्न भिन्न जातियोंमें-हिन्दू, मुसलमान, सिक्ख पारमी, ईसाई यहूदी तथा अन्य जातियां-परम्पर मेल तथा सद्भाव होना आवश्यक है। इस महत्वशाली युद्धका सफल बनाने के लिये सबसे आवश्यक बात यह है कि पञ्चायने खोली जायं और ग्रामको ग्रामसे जिलेको जिलेसे, प्रान्तको प्रान्तसे अर्थात् सबको मिलाकर एक कर दिया जाय। इसके लिये दूसरी आवश्यकता इस बात की है कि चरखे तथा करघेका प्रचार करके देशी खद्दरको इतना पर्याप्त तैयार कर दिया जाय कि देशका एक पैसा भी विदेश न जाने पावे। इस प्रकार आर्थिक कठिनाई हल हो जायगी। सबसे बड़ी आवश्यकता इम बातकी है कि समाजके सुधारकी योजना होनी चाहिये । ममाजके अन्तर्गत शराबखोरी, मुकदमेवाजी आदि अनेक तर- हकी बुराईयां आ गई है, उन्हें दूर करना अत्यन्त भावश्यक