पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१५७

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गवाहियोंसे जो कुछ अवसा प्रतीत हुई उसके अनुसार कमेटीके सदस्योंने अनेक सिफारिशें की हैं।

इन सिफारिशोंके देखनेसे स्पष्ट विदित हा जाता है कि छोटी मोटी बातोंमें समितिके सदस्योंमें मतभेद है। पर प्रधान विचारणीय विषय समितिके सामने तीन थे। ब्रिटिश 'वस्तुओंका बहिष्कार सविनय अवज्ञा तथा कौंसिलोंका वहिष्कार ।' प्रथम दो विषयों पर समितिके सभी सदस्य एक. मत है। केवल ब्रिटिश वस्तुओंके वहिष्कारकी शिफारिसमें गजागोपालाचारीने कुछ सुधारकी योजना की है। पर तीसरे प्रश्ननर अर्थात् कौंसिलोंके बहिष्कारके प्रश्न पर सदस्यों में घोर मतभेद है। भाधे सदस्योंकी गय है कि कौंसिलोंका बहिष्कार होना चाहिये और आधे सदस्य उसमें जानेकी व्यवस्खा बतलाते हैं ।

इसी समय अपनी अवधिको पूरा करके श्रीयुक्त देशबन्धु दाल जेलसे युक्त होकर आये । अमरावतीमें सार्वजनिक सभामें भाषण करते समय उन्होंने कौंसिलोंके जानेके पक्षमे अपनी गय दी। सविनय अवज्ञा जांच समितिकी रिपोर्ट पर विचार करनेके लिये नबम्बर २२, १९२२ को कलकत्तामें अखिल भारतवर्षीय कांग्रेस कमेटीकी बैठक हुई। उपस्थिति बडी ही अच्छी थी । प्रायः सभी सिफारिशें स्वीकार की गई । पर कौंसिलोंके वहिष्कारके प्रश्न पर घोर मतभेद रहा। चार गेजतक सुबह शाम बैठक होती रही पर कुछ निर्णय नहीं