जातिको---सदिच्छापरही अवलम्बित है। उन्हें यह ऐसा विश्वास दिलाकर विदा करती है कि यदि तुम हमारे इच्छानुसार विधान रचनासे सन्तुष्ट न होते तो किसी बुरे मार्गपर जा पड़ते। इन
कतिपय कामोंको कर लेनेपर सरकारको विश्राम लेनेकी सूझती
है । पर नये चुनावके निकट पहुच जानेसे.फिर यह घबरा उठती
है। देश असहयोगियोंका समर्थक है यह उन्हें धमकी देती है
कि यदि तुम सुधारोंको विफल करनेका साहस करोगे तो
इसका परिणाम बहुतही बुरा होगा। सरकारको यह पूरा
विश्वास है कि असहयोगियों के हृदय व्यवस्थापक सभाके
मदस्यों को तरह कच्चे नहीं है, जो निर्णय उन्होंने दूढ़ होकर
कर लिया उसका अन्तिम समय तक वे पालन करेंगे ।
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सविनय अवज्ञा जांच समिति
सिफारिशों के अनुसार हकीम अजमल बांके सभापतित्वमे
सविनय अवज्ञा जांच समितिका सङ्गठन किया गया। हकी.
मजाके अतिरिक्त इसमें निम्न लिखित सदस्य थे:-श्रीकस्तूरी
रङ्ग ऐयङ्गर राजगोपालाचारी, एम० ए० अन्सारी, बी०. जे०.
पटेल, तथा पण्डित मोतीताल नेहरू । मिन्न भिन्न खानों पर
भ्रमण करके इस समितिने राष्ट्रके प्रधान प्रधान पुरुषों की
गवाहियां ली और अन्त में १७ अक्तूर १९२२ को अपनी रिपोर्ट
प्रकाशित की ।