पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१५२

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भन्य सब भामों में इन दोनों जातियोंका पररूपरका सम्बन्ध सन्तोषजनक है। कई बार उपद्रव मचाने के लिये 'उपद्रव प्रवर्तकों के द्वारा किये गये प्रयत्न समयपर कांग्रेस तथा खिलाफतके कार्यकर्ताओं समयके हस्तक्षेपसे विफल कर दिये गये है।

परिस्थिति

यहांतक तो असहयोगके आरम्भसे अबतक के इतिहास तथा इसकी सफलता और असफलतापर सरसरी तौर से निगाह डाली गई है। इस आन्दोलनको शक्तिभर दबानेके लिये सरकारकी कड़ी और अन्धाधुन्ध दमन नीतिके पथका भी दिग्दर्शन कराया गया है। सरकार और उसके समर्थक इस आन्दोलनपर पूर्णविजय-लाभका दावा करते है। जबतक शासनशक्ति देशवासियोंके अधिकारमें नहीं आता तब- तक असहयोगी विजयी कहला भी नहीं सकते। इस समय इसकी वास्तविक परिस्थिति क्या है. इसे आगेकी पंक्तियोंमें संक्षेपसे दिखलायी जायगी।


कांग्रेसकी स्थिति

शक्तिशालनिी सरकारका दो वर्ष तक सामना करनेके अनन्ता कांग्रेसके कर्मचारी गण, कई बड़े नेताओं के साहाय्यसे वंचित होनेपर भी, भ्रान्त या अभ्रान्त रूपसे ऐसा विश्वास कर लेनेपर कि वे अन्तिम आक्रमणके लिये तैयार हैं, सहसा रोक
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