तैयार कर डाली जिसमें अपील करने, फैसलों की समीक्षा या निगरानी करने तथा न्यायाधीशों इत्यादि की स्थापना की व्यवस्था की गयी थी । ऐसी प्रणाली का विफल होना पूर्वनिश्चित था । आश्चर्य इस बात का है कि यह व्यवस्था कुछ दिनोंतक भी भली-भांति चल सकी । यह कहना अनावश्यक है कि पंचायतों की विशेषता उसमें जनताका विश्वास होना है, लम्बी चौड़ी दिखाऊ
कार्य-प्रणाली नहीं । अच्छा हो यदि प्रान्तीय कांग्रेस कमेटियां
भिन्न भिन्न जातियों की पंचायतों में प्रचलित पुराने नियमोंमें देश की
परिवर्तित परिस्थिति के अनुसार उचित सुधार कर अपने अधीन
समितियों के पथ-प्रदर्शन के लिये कुछ सरल और एक सा नियम
बना ले ।
उपाधियों का छोडना
उपाधियों के वहिष्कार में जितनी सफलता हुई है उतनी कार्यक्रम के अन्य किसी भागमें नहीं हुई । यह मालूम है कि बहुत कम
उपाधियों का त्याग किया गया है और अपने समय पर निकने वाली 'सम्मान' सूचियां सदा की तरह नामों से पूर्ण थीं-संभवतः
पहले से भी अधिक पूर्ण थीं, क्योंकि दमन नीति में सरकार का समर्थन करने वालों के कारण उपाधियों के योग्य समझ जाने वालों की संख्या असाधारण वृद्धि हो गयी थी । किन्तु उपाधि पाने का
सम्मान और यश सदाके लिये नष्ट हो गया । सरकारी इमारतों
और सरकारी कागजों के बाहर सार्वजनिक या अर्द्ध सार्वजनिक