फिर भी किसी प्रकार के प्रतिरोध का भय न कर यह बात कही जा सकती है कि इस आन्दोलन के सिद्धान्ती तथा कांग्रेस के भिन्न भिन्न कार्यक्षेत्रों में उनके प्रयोग के सम्बन्ध में उनका चाहे कितना भी मतभेद रहा हो, अभी तक नरमदल के किसी भी विख्यात नेता ने देश की वर्तमान जागृति का श्रेय एकमात्र असहयोग को देने मे आपत्ति नहीं की है। इसके विरुद्ध उनके अग्रगण्य नेताओ ने मुक्त कण्ठ से अमहयोग की सफलता स्वीकार की है। यह बात दूसरी है कि ऐसा स्वीकार करते समय प्रत्येक बार उन्होंने कार्यक्रम के विशेष मदो के सम्बन्ध में अपना असम्मति प्रगट की है। गत मई मासमें अहमदाबाद में किये गये सर चिम्मनलालजी मोतलवाड के भाषण से एक अवतरण नीचे दिये जाता है। साधारणतया यह समस्त नरमदलवालों की रायका द्योतक समझा जा सकता है-
"मैं यह खुशी से स्वीकार करता हूं कि किसी हदतक गरम- दल ने अच्छा काम किया है। उसने जनता में राजनीतिक जागृति उत्पन्न कर, उसके स्वाभिमान एवं देश प्रेम को प्रज्वलित कर बड़ा काम किया है। .सजनो, मैं यह भी मानता हूं कि अन्य रूप से भी उन्होने उपयोगी कार्य किया है। उसने जनतामे स्वदेशी के पक्ष का भाव पैदा कर एवं अन्त्यजों के प्रति छूत का भाव दूर करने को लोगों से कह कर अच्छा काम किया है।"