व्यवस्थापकों के विशेषाधिकार और भावकी उन्नति उन लोगों की राजभक्ति का अर्थ समझना कठिन है ।
जिनकी बुद्धिपर प्रभाव डालकर सहानुभूति प्राप्त करना अभी बाकी ही है और जिन्हें अभी उनलोगों की सचाई का विश्वास
दिखाना वाकी है जिनके वे भक्त और अनुयायी हैं । इसके अतिरिक्त यह भी कहा गया है कि यह काम सरल नही है, इसमे
अध्यवसाय एवं धैर्य की आवश्यकता है ।, व्यवस्थापक सभा के
सदस्यो के प्रयत्नो से कार्य के सफलतापूर्वक किये जाने मे विश्वास
प्रगट किया गया है, किन्तु साथ ही उन्हें इस बात का निश्चय
दिलाना भी आवश्यक हुआ है कि आप इस काममे मेरी सरकार
तथा सिविल सर्विसको पूरी सहायता' का आशा कर सकते
है। इसके सिवा अन्य बातों के साथ साथ उनके विशेषाधिकारों और भावी उन्नति' की और भी संकेत किया गया है ।
सरकार जिस तरह सारी बातों का प्रबन्ध करता है उस देखकर
आश्चर्य होता है । सरकार का तथा सिविल सर्विस का
सहायता का आश्वासन देकर सदस्यों से उत्सुकतापूर्वक यह
अनुरोध किया गया है कि आप अपने विशेषाधिकारी और
भावा उन्नति का ख्याल कर" उस उज्ज्वल दृष्टिका प्रसार
कीजिये जो आपको प्राप्त है और इमका एकमात्र उद्देश्य उसी
जनताले भेंट करना और उसकी सहानुभूति प्राप्त करना है
जिसके वे निर्वाचित प्रतिनिधि है ! इन राज 'भक्त' और
'अनुयायी' लोगों के रंग-ढंग विचित्र है---नगर में या गांव में सभा