पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/११२

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बड़ी उत्तेजना के साथ दौड़ न लगा सकी, विवशता के कारण उसकी गति मन्द पड़ गयी।

"वाइसराय हैरान और परेशान"

दिसम्बर के आरम्भ में वाइसराय ने निःसंकोचरूप से स्वीकार किया कि "मैं हैरान और परेशान हूं",अब सारे शासन की कल खाख- गने लगा और उसके शीघ्र पतन के लक्षण नजर आने लगे। २६ जनवरी को बारडोलाने सविनय अवज्ञा जारी करने का महत्वपूर्ण निणय किया। महात्मा गान्धी ने इसे “बार- डोली का अन्तिम और अमिट निर्णय" कहा और वाइसराय के पास अपनी अंजन सूचना भेज दी। बड़ी बडी आशाए की जाने लगीं। मारा देश शारीरिक शक्ति पर अमिक शकिका पूर्ण विजय देखने के लिये समुत्सुक हा उठा। किन्तु श्याकी इच्छा कुछ और ही था।

चौरीचौरा की दुःखावह घटना

तारीख फरवरी १९२२ को चौरराचोरा की दुर्घटना हुई। इसने सारी परिस्थिति बदल दी। ११ और १२ फरवरा को बारडालो मे कार्य समितिकी वैटको निर्णय हुआ कि "बारडाली तथा अन्यत्र जिस सविनय अवज्ञा का सूत्रपात किया जानेवाला था,उस विचार तबतक स्थगित कर दिया जाय जय तक परिस्थि त इतनी अहिंसापूर्ण न हो जाय कि गोरखपुर के समान सार्वजनिक निष्ठुरताओं अथवा बम्बई और मद्रारू के समान