पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१११

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कलकत्ते वाले भाषणो में दी गयी चुनौती भी उक्त प्रस्ताव द्वाग स्पष्ट शब्द मे स्वोकृत का गयी। कार्यकर्ताओं ने जनता को सहायना से,कार्य-समितिकी २३ नवम्बर १९२१ की बम्बईवाली बैठक में स्वीकृत प्रत्ताव के आदेशों का अनुपालन किस उत्माहक साथ किया, इसका उल्लेख पहले कर किया गया है। अब उन्हें समूचो राष्ट्राय सभाको आज्ञा का बल भा प्राप्त हा गया। उन्हाने द्विगुणित माहस और दृढ़ता के साथ यह अपूर्व संग्राप जनवरी तथा फरवरी के भी कुछ भागत क जारी रखने का ऐमा प्रयत्न किया कि जिसके सामने दमन नीति की शक्ति भी परास्त हा गया। उत्तर भारत में इधर पक्षावफे पश्चिमी कोण से लेकर उधर बङ्गाल और आसाम पूर्णे कोण तक रष्ट्रीय समाके सभी परिस्थितिक कार्यकर्ताओं के दल के दल पकड़े जाने पर एव सरकार द्वारा दमन नीनि के अन्य उपायों का प्रोग होने पर भी स्वतन्त्र भाषण एवं सहगमन के नैसर्गिक अधिकारों पर आरूढ़ रहनेका जनता का निश्चय टससे मस न हुआ। कलकत्ता, प्रयाग, लखनऊ तथा अन्य संख्यातीत स्थानों मे आम सड़कॉपर तथा पुलिमके थानाके सामनेस स्वय- सेवक दलक दल अाने काय सूचक चिह्न लगाये हुए और स्वराज्य के झण्डे हाथमें लिये हुए एकके वाद एक अविच्छिन्न धाराफे रूप में निकला करने थे। वे अपने को पकडवाने के लिये समुद्यत थे, किन्तु बहुधा उनसे कोई चां तक न करता था। हवा. लातों में स्थान न था, जेलखाने भर गये थे। दमन नीति इस