स्त्रियोंपर आक्रमण करने तथा उंची जातिके लोगों पर शराब
छिड़ककर और उन्हें अपने कन्धोंपर मैला उठानेके निमित्त
वाध्यकर इस नयो विधिसे उनका अपमान और तिरस्कार करने-
के मामलोंके कारण उस प्रान्तमें विशेष प्रसिद्धि हो गया है।
अहिसाका अपूर्व भाव
जनताने प्रशंसनीय धैर्य एवं आत्मसयमके साथ इन सब
बातोका सहन किया। सारी जनतामे अहिसाका भाव आशासे
भी अधिक फैल गया है । यह निःशङ्क रूपसे कहा जा सकता है कि संसारमें ऐसा कोई देश नही है जहाकी जनता, समष्टिरूपमें
ऊपर लिखी हुई ज्यादतियों को भारतकी साधारण जनताकी
तरह उस आत्मसयमके साथ कह मकती मा प्राय दिय कहा
जा सकता है। वस्तुओं के उचित अनुपातकी आर दृष्टिपात न
कर भारतके समान विशाल देशमें इधर उधर एकाध बार हो
जानेवाले उपद्रवोकी ओर ध्यान दिलाना और बुद्धिमत्तापूर्ण
प्रोत होनेवाले तर्को द्वारा अमहयोगके साथ उनका सम्बन्ध
दिखलानेकी चेष्टा करना बहुत सरल है। इम प्रकारकी इनी
गिनी दुःखद घटनाओंके निमित्त असहयागीको ही जिम्मेदार
समझना चाहिये या कठिन उत्तेजनाके समय भी मामान्य शान्ति
बनी रहनेका एक मात्र श्रेय उसे देना चाहिये, यह बतलाना
भविष्यके निष्पक्ष इतिहास लेखकके लिये छोड़ दिया जाता है ।
यूरोपियनोंके दिमागमें यह बात आनी सभवतः कठिन है कि भार-