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मेरी आत्मकहानी

(१)

वंश-परिचय और शिक्षा

बहुत दिनों से मेरी यह इच्छा थी कि मैं अपनी कहानी स्वयं लिख हालता तो अच्छा होता, क्योकि मेरे जीवन से संबंध रखनेवाली मुख्य मुख्य घटनाओं का जान लेना तो किसी के लिये भी कठिन न होगा, पर हिंदी और विशेषकर काशी-नागरी-प्रचारिणी समा से संबंध रखनेवाली अनेक घटनाओं का विवरण जिनका उस समय प्रकाशित होना असंभव-सा था परतु जिनका ज्ञान वना रहना परम आवश्यक है, मेरे ही साथ लत हो जायगा और ज्यो ज्यो समय बीतता जायगा मैं भी उन्हें कुछ कुछ भूलता जाऊँगा। इसलिये मेरी यह इच्छा है कि इस समय इन घटनाओं का वृत्तांत तथा अपना भी कुछ कुछ लिख डालूँ, जिससे समय पड़ने पर मैं इन बातो से काम ले सकूँ और मेरे पीछे दूसरे लोग उन, घटनाओं की वास्तविकता जानकर इस समय के ऐतिहासिक तथ्य का यथार्थ निर्णय कर सकें। यद्यपि बहुत दिनों से मेरी इच्छा यह सब लिख डालने की थी और एक प्रकार से सितंबर सन् १९१३ ई० में मैंने लिखना आरम्म भी कर दिया था, पर यह कार्य आगे न बढ़ सका। इसके कई कारण थे। एक तो कार्यों की व्यग्रता, दूसरे समय का अभाव, तीसरे गृहस्थी की चिंता