मेरी आत्मकहानी (५) गणितशास्त्र-इसे महामहोपाध्याय पडित सुधाकर द्विवेदी ने वनाया था। इसमे १,२४० अंगरेजी और १,५८० हिंदी के शब्द थे। (६) भौतिक विज्ञान-इसे चाबू ठाकुरप्रसाद ने तैयार किया था। इसमे १,३२७ अंगरेजी और १,५४१ हिदी के शब्द थे। (७) दर्शनशास्त्र-इसे तैयार करने का भार पहले बाबू इंद्रनारायण- सिंह ने लिया था पर अस्वस्थता के कारण वे इसे न कर सके। तव रायवहादुर वावू प्रमदादास मित्र को यह भार दिया गया पर उनकी मृत्यु हो जाने के कारण वे इसे न कर सके । इस अवस्था मे पंडित महावीरप्रसाद द्विवेदी ने अत्यंत उदारतापूर्वक इस काम को अपने हाथ में लिया और बहुत शीघ्र उसे पूरा कर दिया। इसको दोहरा कर ठीक करने में सबसे अधिक परिश्रम बाबू भगवानदास ने किया। इसमे ३,५११ अँगरेजी और ७,१९८ हिंदी के शब्द है। इस प्रकार यह कोप दोहराकर ठीक हो जाने पर सन् १९०८ में छपकर प्रकाशित हुआ । विचारणीय सस्करण मे सब मिलाकर ७,४८३ अंगरेजी और ११,४७२ हिंदी के शब्द थे पर संशोधित संस्करण मे अंगरेजी-शब्दो की संख्या १०,३३० और हिंदी शब्दो की संख्या १६,२६९ हो गई। इन श्रॉकड़ो से इसकी महत्ता प्रकट होती है, फिर भी मैं एक विशेष बात पर ध्यान दिलाता हूँ। रसायनशास्त्र मे भिन्न भिन्न उपसर्गों और प्रत्ययो के लगाने से शब्दो के अर्थों में बड़ा अंतर हो जाता है । इस कठिनाई को कैसे दूर किया गया यह आगे की दी हुई सूची से स्पष्ट हो जायगा-
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