पृष्ठ:मेघदूत का हिन्दी-गद्य में भावार्थ-बोधक अनुवाद.djvu/५२

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मघदूत ।


प्रिया के मुख का भी होगया होगा। वह बहुत ही दीन दिखाई देता होगा।

जिम समय तू मेरे घर पहुँचेगा उस समय था ता मेरी श्रद्धा- गिनी मेरो कुशल-कामना से देवाराधना कर रही होगी, या वियोग- दुःख से दुवले हुए मेरे शरीर का अनुमान करके उसी भाव का व्यञ्जक भरा चित्र खीच रही होगी, या पीजडे में बैठी हुई मधुर- भापिणी मैना से पूछ रही होगी-"अरी, क्या तुझे भी मर प्रिय- तम की कभी याद आती है ? तेरा तो वे बड़ा प्यार करते थे। या वह मैले कपड़े पहने हुए, गाद पर वीणा रख कर, मेरं कुल के गीत गाने बैठी होगी और आँसुओं की झड़ी से भीगे हुए तारों को पोछती हुई पूर्वाभ्यस्त मूर्छना को भी बार वार भूलती होगी। या देहली पर चढ़ायं गये फूल भूमि पर रख रखकर वह मेरे शाप की अवधि के अवशिष्ट महीनं गिनती होगी । या मन ही मन यह अनु- मान करके कि मेरे शाप के दिन बीत गये और मैं घर आगया, वह मेरे समागम का सुख लूट रही होगी। में ये सम्भावनायें इस- लिए करता हूँ कि पति के वियोग में खियाँ प्रायः यही बातें कर करकं अपना मन समझाती हैं और किसी तरह अपने दिन काटती हैं।

दिन भर वो काम-काज में लगी रहने से उसे मेरे वियाग की पीड़ा कम सताती होगी; परन्तु, रात को कोई काम न रहने से, मुझे डर है, वह वियोग-व्यथा से अत्यन्त ही व्याकुल होती होगी! मेरा कुशल-समाचार सुना कर उसे सुखी करने के लिए तू रात ही के समय मेरे घर पहुँचना और चुपचाप खिडकी में बैठ जाना। तू देखगा कि वह सानी भूमि पर एकहा करवट परी है मनोव्यथा