पृष्ठ:मेघदूत का हिन्दी-गद्य में भावार्थ-बोधक अनुवाद.djvu/३४

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मेघदूत ।


जाग पड़ें। थके-माँदे के लिए एकान्त स्थान ही अच्छा होता है। ऐसे स्थान में सुख से सोने को मिलता है। तब तक चमकते चम- कते तेरी प्रियतमा सौदामिनी भी थक जायगी। इस कारण भी तुझे उज्जयिनी में एक रात अवश्य ही ठहरना पड़ेगा । प्रातःकाल होने पर फिर चल देना और यथासम्भव शीघ्र ही अवशिष्ट मार्ग का प्राक्र- मण करना । जिसने अपने मित्र का कोई कार्य कर देने के लिए बीड़ा उठाया है उसे उसकी पूर्ति होने तक कल कहाँ ? उसे अधिक सुस्ताने के लिए समय ही नहीं।

प्रातःकाल प्रणयी पुरुप वर आवेंगे और अपनी खण्डिता पतनियों के आँसू पोछ कर उनका दुःख दूर करेंगे। उधर भगवान मरीचि- माली भी कमलिनियों के मुख-कमल से ओस के अश्रुओं का परिमा- र्जन करने के लिए लौटेंगे । अतएव, उनकी किरणों के मार्ग को हरगिज़ न रोकना । रोकने से एक तो वे तुझ पर अप्रसन्न होंगे, दूसरे खण्डिताओं तथा कमलिनियों का दुःख दूर होने में भी बाधा पहुँचेगी। समझ गया ?

उज्जयिनी छोड़ने पर तुझ गम्भीरा नाम की नदी मिलेगी। उसका जल प्रसन्नवा-पूर्ण मन के सदृश निर्मल है। खिले हुए कुमुदरूप सुन्दर नयनां से वह तुझ पर चपल-मछली-रूप कटाक्षों की प्रेरणा करेंगी। अतएव, जब तू उसके जलरूप स्वच्छ हृदय के भीतर अपनी प्रतिबिम्ब-रूप आत्मा का प्रवेश कर देगा तब तुझे वहाँ कुछ देर तक अवश्य ही रहना पड़ेगा। क्योंकि यह सम्भव ही नहीं कि तू उसके कटाक्षों को सफल किये विना ही वहाँ से चल दे। इतनी कठोरता दिखाना-इतना धैर्य धरना-तुझसे होही