पृष्ठ:मेघदूत का हिन्दी-गद्य में भावार्थ-बोधक अनुवाद.djvu/२२

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मेघदूत।

आकाश-मार्ग से तुझे जाता देख सिद्धों की मुग्धा स्त्रियों को बड़ा आश्चर्य होगा। चकित होकर वे बार बार अपना सिर ऊपर को उठावेंगी और आपस में कहेंगी कि कहीं यह किसी पर्वत का बड़ा भारी शिखर तो नहीं, जिसे हवा उड़ाये लिये जा रही है। मैं सच कहता हूँ, उनकी इस तरह की बातें सुन कर तुझे भी बड़ा कुतूहल होगा।

पानी अधिक बरसने से यह स्थान सदा आर्द्र रहता है। इसी से यहाँ बेत बहुत होता है। यहाँ से तू उत्तर की ओर जाना। दिग्गजों को इस बात का बड़ा घमण्ड है कि हमसे अधिक विशाल शरीरवाला संसार में और कोई नहीं। परन्तु जब वे नभोमार्ग में तुझे यहाँ से जाता देखेंगे तब उनका सारा घमण्ड चूर्ण हो जायगा। वे कहेंगे--अरे यह तो हमसे भी बड़ा है!

बाँबी से निकलनेवाला यह इन्द्रधनुष सामने ही कैसा सुन्दर मालूम होता है। जान पड़ता है, उस पर अनेक प्रकार के रत्नों की रङ्गीन छाया पड़ रही है। भाई, वाह! इस अनेक रङ्गी धनुष के संयोग से तेरा श्यामल शरीर, मनोहर मोरपंखों के संयोग से गोपवेशधारी विष्णु के सदृश, बहुत ही शोभाशाली मालूम होगा।

मार्ग में तुझे मालभूमि मिलेगी, जहाँ खेती बहुत होती है। नये जुते हुए खेतों से वहाँ बड़ी ही हृदय-हारिणी सुगन्धि उड़ती होगी। उससे तेरी घ्राणेन्द्रिय परितुष्ट हो जायगी। देहाती स्त्रियाँ बहुत ही भोली भाली होती हैं। वे कटाक्ष करना नहीं जानती: भौंहें टेढ़ी करके देखना उन्होंने सीखा ही नहीं। हैं तो वे इतनी सीधा तथापि व यह बात अच्छी तरह जानती है कि खेती का