पृष्ठ:मेघदूत का हिन्दी-गद्य में भावार्थ-बोधक अनुवाद.djvu/१९

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मेघदूत।


तरफ़ उठायेंगी। पतियों से वियुक्त होने के कारण उनके मुँह पर केशों की लटें बिखरी होगी। उन्हें हाथ से उठा उठा कर वे बड़े ही चाव से तुझे दखेगी। उन्हें मालूम है कि तेरा आगमन होने पर कोई भी विदेशी अपनी प्रियतमा पत्नी से दूर नहीं रह सकता: वर्षा-ऋतु आते ही वह अपने घर चला आता है। अतएव, तुझे देख उनको दृढ़ विश्वास हो जायगा कि अब हमारे भी पति शीघ्रही घर आवेंगे। क्योंकि कौन ऐसा मूर्ख होगा जो तेरा आगमन होने पर भी अपनी वियोगविधुरा पत्नी के पास आने की इच्छा न करेगा? हाँ, यदि कोई पुरुष मेरे ही सहश पराधीन हो तो बात दुसरी है। ऐसा मन्दभागी यदि अपने घर न आ सके तो इसमें उनका क्या अपराध ?

आहा! तेरा रूप भाग्यों का कितना प्यारा है। तर नयन-सुभग सुरूप को देखने और तेरी सेवा सं अपनी आत्मा को कृतार्थ करने के लिए, देख, ये बगलियाँ आकाश में पाँठ की पाँठ उड़ती चली आ रही हैं। तेरा आगमन होने पर ही य गर्भवती होती हैं। इस कारण तुझ पर इनकी और भी अधिक प्रीति हैं। पवन भी इस समय, तेरे सर्वथा अनुकूल है; वह धीरे धीरे चल रहा है। तुझे उसका ऐसा ही मन्द-गमन पसन्द भी है। चातक भी बड़े गर्व मे तेरे बायें बोल रहा है। उसका मधुर रव कानों को बहुत ही सुखदायी है। देव तो कैसे अच्छे अच्छे शकुन हो रहे हैं। अतएव अब तुझे चलही देना चाहिए; देर न करना चाहिए।

इन शकुनों से मैं अनुमान करता हूँ कि मार्ग में तेरी गति का रोधक कोई कारण न उपस्थित होगा और तू अपनी भाभी