पृष्ठ:मुद्राराक्षस नाटक.djvu/१८४

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शब्दार्थ

पृष्ट १—जनस्थान=मनुष्यों के रहने का स्थान।

पृष्ठ २―प्रयाण=गमन। उद्धत=अक्खड़। निविड़=घोर।

पृष्ठ ३―महामात्य=प्रधान मंत्री (महा अमात्य।)

पृष्ठ ५―वृत्त=समाचार।

पृष्ठ ६―कुशा=डाभ।

पृष्ठ ७―करार=वचन, प्रतिज्ञा।

पृष्ठ ९―औरस=अपनी धर्मपत्नी से उत्पन्न पुत्र। आसु=शीघ्र। रजताई=सफेदी। प्रवाल=मूँँगा। रास=ढेर। भैम= एक राजा का नाम। वासव=इन्द्र। कैक=कई एक।

पृष्ट १२―अभिचार=यंत्र मंत्र द्वारा मारण, उच्चाटन आदि हिंसा कर्म निर्माल्य=देवार्पित वस्तु। सद्य=शीघ्र।

पृष्ठ १२―लोभ परतंत्र=लोभी। कृत्या=तंत्र प्रयोग से उत्पन्न राक्षसी।

पृष्ट १७―लवारी=झूठा ( चन्द्रमा नहीं है तो )। सर्वकल्याकर=शिव।

पृष्ठ १९―मुशल=मूशल ( नाज कूटने का यंत्र ) सघन=प्रमाण में अधिक।

पृष्ठ २५―कालसर्पिणी=काल रूपी नागिन।

पृष्ट ३१―विराग=विरक्ति। क्षपणक=दिगंबर यति के वेष में चाणक्य का एक भेदिया।