वर्णनों से मिलाने से यद्यपि सिद्ध होता है कि सिकन्दरकृत पुरु पराजय के पीछे मगधराज मन्त्री द्वारा निहत हुए और उनके लड़के भी उसी गति को पहुँँचे और उसके पीछे चन्द्रगुप्त राजा हुआ, किन्तु बहुत से यूनानी लेखकों ने चन्द्रगुप्त को पटरानी के गर्भ में क्षोरकार से उत्पन्न लिखकर व्यर्थ अपने को भ्रम में डाला है। चन्द्रगुप्त क्षत्रिय-बीर्य से दासी में उत्पन्न था यह सर्वसाधारण का सिद्धान्त है। (७) इस क्रम से ३२७ ई० पू० में नन्द का मरण और ३१४ ई० पू० में चन्द्रगुप्त का अभिषेक निश्चय होता है। पारसदेश की कुमारी के गर्भ से सिल्यूकस की जो एक अति सुन्दर कन्या हुई थी वही चन्द्रगुप्त को दी गई। ३०२ ई० पू० मे यह सन्धि और विवाह हुआ, इसी कारण अनेक यवनसेना चन्द्रगुप्त के पास रहती थी। २९२ ई० पू० मे चन्द्रगुप्त २४ बरस राज्य करके मरा।
चन्द्रगुप्त के इस मगधराज को आईने अकबरी मे मकता लिखा है। डिग्विग्नेस ( Deguignes ) कहता है कि चीनी मगध देश को मकियात कहते हैं। केम्फर (Kemfer) लिखता है कि जापनी लोग उसको मगत् कफ करते हैं। ( कफ शब्द जापानी मे देशवाची है) प्राचीन फारसी लेखको ने इस देश का नाम मावाद वा मुवाद लिखा है। मगधराज्य में अनुगांग प्रदेश मिलने ही से तिब्बतवाले इस देश को अनुखेक वा अनोनखेक कहते हैं; और तातार वाले इस देश को एनकाक लिखते है।
सिसली डिउडोरस ने लिखा है, कि मगध राजधानी पाली- पुत्र भारतवर्षीय हक्यूलस ( हरि कुल ) देवता द्वारा स्थापित
(७) टाड आदि कई लोगो का अनुमान है कि मोरी वंश के चौहान जो बापाराव के पूर्व चितौर के राजा थे वे भी मौर्य थे। क्या चन्द्रगुप्त चौहान था? या ये मोरी सब शूद्र थे।