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उपसंहार ख

मार्टिन साहब ने जरासन्ध ही के विषय में एक अपूर्व कथा लिखी है वह कहते हैं कि जरासन्ध दो पहाड़ियों पर दो पैर रखकर द्वारका में जब स्त्रियाँ नहाती थीं तो ऊँचा होकर उनको घूरता था। इसी अपराध पर श्रीकृष्ण ने उनको मरवा डाला!!!

मगध शब्द मग से बना है। कहते हैं कि “श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब ने शाकद्वीप से मग जाति के ब्राह्मणों को अनुष्ठान करने को बुलाया था और वे जिस देश मे बसे उसकी मगध सज्ञा हुई।” जिन अङ्गरेज विद्वानों ने 'मगध देश' शब्द को मद्ध (मध्यदेश) का अपभ्रंश माना है उन्हें शुद्ध भ्रम हो गया है। जैसा कि मेजर विल्फर्ड पालीबोत्रा को राजमहल के पास गङ्गा और कोसी के सङ्गम पर बतलाते और पटने का शुद्ध नाम पद्मावती कहते है। यो तो पाली इस नाम के कई शहर हिन्दु- स्तान में प्रसिद्ध है किन्तु पालीवोत्रा पाटलिपुत्र ही है। सोन के किनारे मावलीपुर एक स्थान है जिसका शुद्ध नाम महाबलीपुर है। महाबली नन्द का नामान्तर भी है, इसी से और वहाँ प्राचीन चिह्न मिलने से कोई-कोई शङ्का करते हैं कि बलीपुर वा वलीपुत्र का पालीबोत्रा अपभ्रंश है, किन्तु यह भी भ्रम ही है। राजाओं के नाम से अनेक ग्राम बसते हैं इसमे कोई हानि नहीं, किन्तु इन लोगो की राजधानी पाटलिपुत्र ही थीं।

कुछ विद्वानों का मत है कि मग लोग मिश्र से आये और यहाँ आकर lsiris और Osris नामक देव और देवी की पूजा प्रचलित की। यह दोनों शब्द ईश और ईश्वरी के अपभ्रंश बोध होते हैं। किसी पुराण में “महाराज दशरथ ने शाकद्वीपियों को बुलाया” यह लिखा है। इस देश मे पहले कोल और चेरु (चोल) लोग बहुत रहते थे। शुनक और अज़क इस वंश में प्रसिद्ध हुए। कहते हैं कि ब्राह्मणों ने लड़ कर इन दोनों को निकाल दिया।