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चतुर्थ अङ्क
(शस्त्र उठा कर भागुरायण के साथ जाता है)
राक्षस---कोई है?
(प्रियम्बदक आता है)
प्रियम्बदक---आज्ञा?
राक्षस---देख तो द्वार पर कौन भिक्षुक खड़ा है?
प्रियम्बदक---जो आज्ञा (बाहर जाकर फिर आता है) अमात्य? एक क्षपणक भिक्षुक।
राक्षस---(असगुन जान कर आप ही आप) पहिले ही क्षपणक का दर्शन हुआ।
प्रियम्बदक---जीवसिद्धि है।
राक्षस---अच्छा, बुलाकर ले आ।
प्रियम्बक---जो आज्ञा (जाता है)
(क्षपणक आता है)
क्षपणक---
पहिले कटु परिणाम मधु, औषधि सम उपदेस।
मोह व्याधि के वैद्य गुरु, जिन को सुनहु निदेस॥
(पास जाकर) उपासक? धर्म लाभ हो।
राक्षस---जोतिषी जी बताओ अब हम लोग प्रस्थान किस दिन करै?
क्षपणक---(कुछ सोकचर) उपासक? मुहूर्त तो देखा। आज भद्रा तो पहर पहिले ही छूट गई है और तिथि भी सम्पूर्ण चन्द्रा पोर्णमासी है और आप लोगो को उत्तर से दक्षिण जाना है और नक्षत्र भी दक्षिण ही है।