पृष्ठ:मुद्राराक्षस.djvu/६८

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

भेदियों से यह सुनकर कि उसका पिता चाणक्य ही के द्वारा मारा गया है डर कर तथा बदला लेने की इच्छा से अपने राज्य को भाग गया। राक्षस भी भाग कर मलयकेतु के पास चला गया और कुसुमपुर पर आक्रमण करने का विचार किया। राक्षस और मलयकेतु के आक्रमण का जिस समय शोर मच रहा था उसी समय से नाटक प्रारंभ होता है।