२०६ भईसवी ५४३ बरस पहले ८० बरस की उमर में साल के वृक्ष के बाई करवट लेटे हुए इसका निर्वाण हुआ। * कश्यप उसका शीन हुभ। अजातशत्रु के पीछे तीन राजा अपने बाप को र म को गद्दी पर बैठे। यहाँ तक कि प्रजा ने घबढ़ा कर की की वेश्या के बेटे शिशुनाग मंत्री को गद्दी पर बैठा दिया। बड़ा बुद्धिमान था। इसके बेटे काल अशोक ने, जिसका नाम गणों ने काकवणे भी लिखा है, पटना अपनी राजधानी बनाया। • जब सिकंदर का सेनापति बामिल का बादशाह सिल्यूकस खेदारों के तदारुक को आया, पटने से सिंधु के किनारे तक नंद बेटे चंद्रगुप्त के अमल दखल में पाया, बड़ा बहादुर था, शेर इसका पसीना चाटा था और जंगली हाथी ने इसके सामने सिर का दिया था। पुराणों में विम्बसार को शिशुनाग के बेटे काकवर्ण का परपोता वाया है कि नन्दिवद्धन को बिम्बसार के बेटे भजावशत्र का पोता और कहा है कि श्रीन दिवद्धन का बेटा महानंद और महानंद बेटा दो से महापद्मनंद और इसी महापद्मनंद और उसके लड़कों के बाद, जिन्हें नवनंद .कहते हैं, चंद्रगुप्त मौर्य गो र बैठा। बौद्ध कहते हैं कि तक्षशिला के रहने वाले चाणक्य ब्राह्मण ने धननद को मार के चन्द्रगुप्त को राजसिंहासन पर बैठाया और वह मोरिया नगर के राजा का लड़का था और उसी जाति का जिसमें शाक्यमुनि गौतम बुद्ध पैदा हुथा। मेगास्थनीज लिखता है कि महाड़ों में शिव और मैदान में विष्णु गते हैं। पुजारी अपने बदन रंग कर और सिर में फूलों का जैन अपने चौबीसवें अर्थात् सब से पिछले तीर्थंकर महाबीर का म विक्रम संवत् से ४७० अर्थात् सन् ईस्वी से ५२७ बरस पहले बतलाते और महाबीर के निर्वाण से २५. बरस पहले अपने तेइसमें तीर्थंकर' नाथ का निर्वाण मानते हैं। चंदन इत्यादि लगा कर ।
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