पृष्ठ:मुण्डकोपनिषद्.djvu/७

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विषय पृष्ठ ८५ ८८ ९२ ४२. ईश्वरदर्शनसे जीवकी शोकनिवृत्ति ४३. श्रेष्ठतम ब्रह्मज्ञ ४४. आत्मदर्शनके साधन ४५. सत्यकी महिमा ४६. परमपदका स्वरूप ४७. आत्मसाक्षात्कारका असाधारण साधन-चित्तशुद्धि ४८. शरीरमें इन्द्रियरूपसे अनुप्रविष्ट हुए आत्माका चित्तशुद्धिद्वारा ... ९८ साक्षात्कार १०१ ४०. आत्मजका वैभव और उसकी पूजाका विधान द्वितीय खण्ड ... १०४ १०६ ... ११० ५०. आत्मवेत्ताकी पूजाका फल ५१. निष्कामतासे पुनर्जन्मनिवृत्ति ५२. आत्मदर्शनका प्रधान साधन-जिज्ञासा ५३. आत्मदर्शनके अन्य साधन ५४. आत्मदर्शीकी ब्रह्मप्रातिका प्रकार ५५. ज्ञातज्ञेयकी मोक्षप्राप्ति ५६. मोनका स्वरूप ५७. ब्रह्मप्राप्तिमे नदी आदिका दृष्टान्त ५८. ब्रह्मवेत्ता ब्रह्म ही है ५९. विद्याप्रदानकी विधि ६०. उपसंहार ६१. शान्तिपाठः ११५