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मिश्रबंधु

प्राचीन कविगण 1 थे। मेवाड़ में कई गाँव पाए थे। आप भी उदयपुर आदि कई राज्यों के कवि थे। उदाहरण- लक्ष गुनो नील ते करोर गुनो कजल ते. अरब खरब गुनो करदम कारा ते 'बखत' भनत लग्यो आनि अवनीपन के, विदा सो कलंक वड़ अकबर वारा ते । मेदपाट मंडल महीप निज पानिपसों धरिकै विबुध हरि-हर के सहारा ते धोय जो न लेतो 'श्रीप्रताप' बीरवर तो तो धोतो न कलंक वो हजार गंग-धारा ते । नाम-(२०१४) बैजनाथ भांडेले (ब्राह्मण जुमोतिया), दतिया। जन्म-संवत् -अनुमानतः १८७० वि० । कविता-काल - अनुमानतः सं० १६०४ । उदाहरण- जरब जरी चे नग जटित जवाहर के, पदर किनारा गज-मुक्का मन गौढ़ जात : तन भूषण अभूत कंदरप अर्प, झरफ दवानल की उपमान रौंध जात । को 'वैजनाथ ग्राफताव को दवावें प्राव, ताच महत्ताव की न चंचलान कौंध जात; तेरे मुख-चंद्र को प्रकाश छिति माँहि देख, चक्रत भयौ सौ चित चंद्र चकौंध जात । हर हायी इथयार रस और रतन की खान: बैजनाथ' करवो कठिन मानस को पहिचान । साज