पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ४.pdf/८८

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
८८
८८
मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद नाम-(११) संपतराव वैद्य । रचना-काल-सं. १८६३ । अंथ-नारायण-कवच (काव्य-ग्रंथ)। विवरण-श्राप मालवांतर्गत पीपलरावाँ ग्राम के निवासी थे। श्रीयुत भालेरावजी द्वारा आप हमें ज्ञात हुए हैं। नाम-(१९७४) रामदयाल तेवारी, ग्राम मौंड़, जिला दरभंगा। ग्रंथस्फुट कविता । विवरण---इनका देहांत हुए १०० वर्ष के लगभग हुए हैं । उदाहरण- भजु रास नाम राम नाम रामा। राम-नाम वेद-मूल, इनके नहिं और तूल, भजत नसत त्रिविध सूल, छूटत भव ग्रामा ॥ १ ॥ राम-नाम विमल नीर, संगम सत्संग तीर, मज्जत निर्मल शरीर, पावन निज धामा ॥२॥ राम-नाम कमल-फूल, संतन-मन भ्रमर भूल, पीवत रस भूमि-झूमि अमृत अनुपामा ॥३॥ राम-नाम निराकार, रामद्याल नमस्कार, दीजै हरि-भक्ति सार, पल पल भर रामा ॥ ४ ॥ नाम-(१९७४) साहबराम महंत, पचाढ़ी स्थान, जिला दरभंगा। ग्रंथ-भजनावली। विवरण-आप वैष्णव-संप्रदाय के संत थे। इनकी मृत्यु हुए सौ वर्ष से अधिक हुए हैं। नाम -( ११७५) खरगसेन ।