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मिश्रबंधु

प्राचीन कविगण कुंवर अमोलिक है शहर करौलि माँझ, राज महाराजा जू श्रीमानक के जाई है; काज परिहास के उपाव कीनौ मन माँझ, घूस की वतीसी कवि 'पंगु' ने बनाई है। नाम-(१९७०) अज्ञात । रचना-काल-सं० १८४८ के लगभग । ग्रंथ-दिल्ली राज नुं विगत वारी । विवरण--यह एक ऐतिहासिक ग्रंथ है । सं० १८४८ में महाद- जी सिंधियावाले दिल्ली पर श्राधिपत्य के उपलक्ष में "पूना ताले दक्खिनिए राज्य लोधू" यह वाक्य इस ग्रंथ में है । मुख्यतः गुजराती भाषा में यह ग्रंथ है । कुछ हिंदी-कवित्त भी हैं। उदाहरण- अनंगपाल गढ़ रच्यो नाम थिर थप्यो दिल्ली ; अरे तुवर मतिहीण, करी खोली क्यों ढीली । भणि जंगम जग जोति, अगम भागम हूँ जाएँ तूंवर थी चहुआन, पिछै फिररै तुरकाएँ । तुरका कॅधार चीतौड़पति बड़ी राण बदसी वरै नवसत्ता अंत मेवाड़पति, दिल्ली छन्न समंधरै नाम-(१४७०) गंगाराम । ग्रंथ-भागवत दशमस्कंध । रचना-काल-सं० १५५८ । विवरण-भाषा हिंदी-गुजराती मिश्रित है। लेखक महाशय संभवतः जैन-संप्रदाय के थे। नाम-(६ ) ( महाराजा ) कल्याणसिंह (जी), कृष्णगढ़। . ।