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मिश्रबंधु

मिश्रर्वधु-विनोद ग्रंथ-श्रीगणेश-जन्म । रचना-काल-सं० १८३० । नाम--(९५५ ) ऋषिकेश, गोकुलपुर मुहल्ला, आगरा । रचना-काल-सं० १८३० । ग्रंथ-स्वरोदय-प्रकाश । नाम-(६२) विश्वनाथ । रचना-काल-सं० १८३१ । ग्रंथ-गोपीचंद-याख्यान (छंदोबद्ध)। विवरण-श्रीयुत भालेरावजी द्वारा यह कवि ज्ञात हुए हैं। नाम-(६६२ ) जनप्रवीण, जौरा, मुरेना (ग्वालियर- स्टेट)। सार: रचना-काल-सं० १८३२ । समय ग्रंथ से प्राप्त । ग्रंथ-रुक्मिणी-स्वयंवर पर काव्य । विवरण-श्रीयुत भालेरावजी का कथन है कि कवि ने स्वयं अपना परिचय यों दिया है- विदित प्रागरे नगर को सूबा जानहु चकला गोपाचल कहत तरवर सरकार। तहाँ जखोरा परगनो बसत थान जारीन कछुक दिवस निवसै तहाँ सदा सुमंगल भौन । अति विचित्र ता नगर में प्रारंभ्यो यह ग्रंथ x x X गोपाचल ते बाइस आसा, डंडोदिया भूमि सुरबासा; नगर मुरेना जौरा जो है, जन्मभूमि मम कुल की सो है। ग्रंथ-रचना के समय कवि का निवास स्थान एक डंडोतिया-जाति के ताल्लुकेदार के अधीन था । यह जाति अपने को द्रोणाचार्य की संतान बतलाती है । ये लोग अब अपने को क्षत्रिय कहते हैं।