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मिश्रबंधु

वास्तविक तत्व, विश्व-साहित्य लेखक, सरस्वती-संपादक श्रीयुत पदुमलाज-पुत्रालाल बन्शी बी० ए० । यदि आप एक ही पुस्तक पढ़कर संसार की सभी उन्नत भाषाओं के साहित्य का रसास्वादन करना चाहते हैं, तो इस पुस्तक का पाठ अवश्य कीजिए। इसमें साहित्य का प्रकृत रूप, उसका उसका मूल-सिद्धांत, उसकी सच्ची परिभाषा और उसके प्रत्येक अंग की सुबोध व्याख्या यड़े विस्तार के साथ की गई है । मूल्य १॥), सजिल्द २) हिंदी-नवरत्न (परिवर्द्धित, संशोधित तथा सुसज्जित चतुर्थ संस्करण ) लेखक, हिंदी-संसार के प्रख्यातनामा समालोचक 'मिश्रबंधु' । इस पुस्तक की प्रशंसा बड़े-बड़े विद्वानों ने की है। हिंदी-भाषा के सर्वोत्तम कविरतों के आलोचना-पूर्ण जीवन-चरिन इसमें हैं। साहित्य-प्रेमी और साधारण जन सबको समान भाव से यह पुस्तक पानंद देती है। इस बार यह पुस्तक पहले से जगभग दुगुनी पड़ी और दसगुनी उपयोगी हो गई है। इसे सामयिक और सवांग-पूर्ण बनाने में कोई भी चेष्टा बानी नहीं खो गई। अब तक की साहित्यिक खोनों के अनुसार संशोधन और संवद्धन होने से पुस्तक अप-टु-डेद हो गई है। ११ रंगीन और सादे चित्रों से समलंकृत, सुंदर सुनहरी रेशमी निल्द से इस पुस्तक की शोभा ही निराली हो गई है। यह संस्करण सब तरह श्रादर्श, अद्वितीय प्रौर साग-सुंदर है । मूल्य ४||, सलिल्द ) साहित्य-संदर्भ लेखक, साहित्य-महारथी पं० महावीरप्रसादनी द्विवंदी। द्विवेदीजी का परिचय देना सूर्य को दीपक दिखाना है। इस पुस्तक में उन्हीं