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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद सं० १९८३ चक्र विवरण-श्राप कायस्थ-कुलोत्पला बाबू युगलकिशोरजी अखौरी की पुत्री हैं। नाम-(४४६० ) सोसदेव (शर्मा) सोमकवि । जन्सन्काल-सं० १९६४। रचना-काल-सं० १९८२ । रचना-स्फुट कविताएँ और साहित्य तथा अयुर्वेद पर लेख । विवरण-नवीगढ़, पो० वा, जिला अलीगढ़ के आर्य-भजनोपदेशक पं० रघुनंदन शर्मा (सारस्वत ) के पुत्र हैं। वनारस की साहित्य-शास्त्री- परीक्षा पास, पंजाब की शास्त्री-परीक्षोत्तोर्ण, संस्कृत और हिंदी ब्रज- भाषा तथा खड़ी बोली के कवि, राष्ट्रीय विचार के उदीयमान युवक, गद्य-पद्य-लेखक, बनारस-हिंदू-विश्वविद्यालय में आयुर्वेद मेडि- कल-कॉलेज में ६ वर्ष अभ्यास किया। उदाहरण- हा मोती! भारत जननि देवि ! अब तेरा खोया वही दुलारा ; उज्ज्वल मुख था तेरा जिससे, जो प्राणों का प्यारा । तू अभिमान किया करती थी, जिसका आश्रय लेके तेरा वह सरवस्व श्राज ही चला गया है तज के। छाती शीतल करनेवाला आँखों की नवज्योती; निर्धन तुझ दुखिया का वह धन आज खो गया मोती। नाम-(४४६१) हरस्वरूप चतुर्वेदी, मैनपुरी। जन्म-काल-लगभग सं० १९५७ । विवरण-यह पंडित मुन्नालालजी मिश्र के पुत्र हैं। अभी भाप विद्यार्थी दशा में है। समय-संवत् १९८३ के अन्य कविगण नाम--( ४४६२) आनंदीप्रसाद मिश्र 'निद्वद । . !