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मिश्रबंधु

भ मिश्रबंधु-विनोद विवरण- [-जान पड़ता है, श्राप केशव के शिष्य थे। ग्रंथ का विषय जैन-तत्व-ज्ञान है। नाम-(६७६) माधवदास । रचना-काल-सं० १७७८ । ग्रंथ-कर्म-लीला ( दोहा-चौपाइयों में)। नाम--( ६ ) दक्षन उर्फ अहमदुस्साह, बहरियाबाद । काल--सं० १७७६ । ग्रंथ---नवरसमय नायिका-भेद । विवरण---आप बादशाह मुहम्मदशाह के समकालीन थे। इन्होंने फारसी, अरबी और हिंदी तीनो भाषाओं में कविता की है । फ़ारसी- कविता में यह अपना नाम वासिद तथा व्रजभाषा के छंदों में दान रखते थे । ये बातें इनकी रचना से ज्ञात हुई हैं। नाम--(६) बिड़दसिंह (महाराजा ). कृष्णगढ़ । रचना-काल-सं. १७८० के लगभग । परिचय-महाराज बहादुरसिंहजी के पुत्र थे । महाराज सरदारसिंह- जी की मृत्यु के उपरांत शासक हुए। हिंदी-भाषा के सुकवि तो थे ही, संस्कृत, अरबी, फारसी के भी पंडित थे। आपके कुछ श्लोक मिलते हैं। -(६५०) राय कवि, कृष्णगढ़ । कविता-काल-सं० १७८० के लगभग । परिचय --आप नरवरगढ़ के निवासी नागरीदास के साथ कविता करते थे। नाम-(६१) हीरालाल सनाढ्य, कृष्णगढ़। कविता-काल-० १७८० के लगभग । -सरदार-सुयश नाम- रचना- ।