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मिश्रबंधु

सं. १९८० चक्र उत्तर नृतन नाम-(४४५२) बाबूसिंह क्षत्रिय पिपरसंड, हरौनी, जिला लखनऊ। जन्म-काल-सं० १९५४ ॥ रचना-काल-लगभग सं० १९८० ग्रंथ-(१) विनोद-बावनी, ( २ ) मज-विहार-विनोद (अपूर्ण), (३) स्फुट छंद । नाम--( ४४५३) बालकृष्ण शर्मा 'नवीन', ग्वालियर-राज्य में शाजापुर के निवासी हैं। जन्म-काल-सं० १९६० । रचना-काल-सं० १९८० ग्रंथ-कुछ काल तक 'प्रताप' पत्र के संपादक रहे, तथा बहुत-सी. स्फुट रचनाएँ की हैं। विवरण- -आप स्वच्छंद प्रकृति के उत्साही कार्यकर्ता हैं । उद्धत देश-भक्ति के कारण कई बार जेल भी हो पाए हैं। नाम-(४४५४) भुवनेश्वरनाथ मिश्र 'माधव' बी० ए० मिश्रौली, बिलौटी (शाहावाद)। जन्म-काल-सं० १९६२ । रचना-काल-लगभग सं० १९८० उदाहरण-- बनी रहे हिय मधुर वेदना, बहते रहें श्रध्रु-निर्भर ; व्याकुल प्राण सदा तेरे दर्शन-हित बने रहें नटवर । सदा खोजता जाऊँ मैं, पर तू अनंत में मिलता जा; श्रातुर आँखों की श्रोझल हो मिलमिल-सा तू मिलता जा। यों छककर इस खोज-टू द से करने लगे कूच जब प्राण; बिना प्रयास भाव-वैभव से गूंज उठे हत्तंत्री-तान ।