सं० ११७ चक्र उत्तर नूतन विवरण-संस्कृत के अच्छे विद्वान हैं । काव्य-रचना ब्रजभाषा में है। कहा जाता है, इनके पास प्राचीन कवियों की अपूर्ण कवि- तानों का बहुत बड़ा संग्रह है। नाम-( ४४२०) पार्वतो वाई । ग्रंथईश्वरदास। विवरण-श्राप बाबू गोकुलदास की पुत्री हैं । नाम-(४४२१) पृथ्वीनाथ तथा महेंद्रनाथ चतुर्वेदी, सिकंदरपुर, जिला फरुखाबाद । विवरण-~-ये दोनो महाशय पं० केशवदेवजी के पुत्र हैं। दोनो भाइयों की अवस्था लगभग ४० और ३६ वर्ष की है। ये लोग कविता, लेख आदि भी लिखा करते हैं। नीचे उदाहरण दिए गए हैं। उदाहरण- जिन केशव के रहि शासन में अनुशासन और न दृष्टि गई; श्ररु भापत झूठ रहे नग में नित भेलत हाय विपत्ति नई। परतीति नहीं जिनको प्रभु को, नहिं देश-विपत्ति बटाइ लई । नहिं जाति सनेह भरौ जिनके तिन लोगन जाति विगार दई । हे पतित-पावन दीनबंधो, विनय मम सुन लीजिए। करके कृपा प्रभु हम सबों को बुद्धि प्रभुवर, दीजिए। दुख-सिंधु में पड़कर प्रभो, असहाय गोते खा रहे बैठे अविद्या-नाव पर उल्टे बहे अब जा रहे । नाम--( ४४२२) वेणीप्रसाद । विवरण-आप मोतीलाल पालीवाल जैन के माता तथा हिंदी के होनहार लेखक हैं। नाम-( ४४२३) भोलानाथ मिश्र विशारद, मैनपुरी।
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मिश्रबंधु