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मिश्रबंधु

सं० १९७७ च उत्तर नूतन नाम- मोतिन की मालवारी, अधर प्रवालवारी, हंसन की चालवारी, नेक छवि न्यारी है; 'पिंगल' कहत ऐसी गुनवारी नारो संग नेह ना कियो, तो एहि वृथा देह धारी है। नाम-(४४०३) बक्षीराम । ग्रंथ-वक्षी-विलास ( नायिका-भेद)। विवरण-यह ऋषिगढ़-तावा के जोध्यारण-ग्राम के निवासी तथा. राधावल्लभ चारण के पुत्र हैं। नाम-(४४०४ ) वाडीलाल-मोतीलाल शाह । विवरण-अहमदाबाद-निवासी श्रीमाल जैन । श्राप गुजराती जैन-हितेच्छु के संपादक हैं। हिंदी मातृभाषा न होने पर भी हिंदी. के अच्छे लेखक हैं। --(४४०५) मुकुटधर पांडेय । जन्म-काल-सं० १९१२ । रचना-काल-सं० १९७७ । अंथ-(१). समाज कंटक, (२) कार्तिक-माहाल्य, (३) इटालीय युवक। विवरण-यह बालपुर जिला बिलासपुर-निवासी चिंतामणि पांडेय के पुत्र हैं। श्राप प्रकृति-पूजक हैं। करुणा तथा सहृदयता का आपकी रचना में अच्छा मिश्रण है। आजकल इंनका मस्तिष्क कुछ बिगड़. गया है। उदाहरण- खींच रहा था हल आतप में दृढ़ा बैल एक सत्रास; उसे देखकर विकल बहुत हो पूछा मैंने जाकर पास- "बूढ़े बैल; खेत में नाहक क्यों दिन-भर तुम मरते हो। क्यों नहिं चरागाह में चलकर मौज मजे से करते हो?"