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मिश्रबंधु

खें उत्तर नूतन उदाहरण- दयानिधि कर भारत-कल्याण । काम क्रोध मद मान हटाकर, लोभ मोह छल द्वेष भगाकर, मोह-निशातम घोर मिटाकर चमका दो रबि-ज्ञान ।। दया०॥ 'धर्म-कर्म-मर्मज्ञ बनैं हम, देश-क्लेश सर्वत्र हरैं हम, 'दुख-दारिद सब दूर करैं हम, होवे पुनरुत्थान ॥ दया० ॥ स्वतंत्रदेविका राज यहाँ हो, इंद्रभुवन-सुख-साज यहाँ हो, विश्व गुरू सरताज यहाँ हो, बढ़े देश का मान ॥ दया० ॥ 'वीणा को झंकार मधुर वह, कृष्णचंद्र का प्रेसराग वह, फैल जाय भगवत, घर-घर वह सरस एकता तान ॥ दया०॥ नाम-(४३२७) भगीरथप्रसाद दीक्षित (साहित्यरत्न), लखनऊ। जन्म-काल-सं० १९४१ (बटेश्वर के निकट पई, जिला प्रांगरा)। रचना-काल रचना-स्फुट गद्य-लेख तथा पत्र-संपादन । एक कोष भी बनाया है। विवरण--आप बहुत हूँढ़-खोज करके लेख लिखते हैं। काशी- नागरी-प्रचारिणी सभा की ओर से हिंदी-लिखित पुस्तकों की खोज में काम करते रहे । आजकल अध्यापक तथा पत्रकार हैं । सम्मेलन- पत्रिका तथा अवध-समाचार के संपादक रह चुके हैं। नाम-(४३२८) माखनलाल चतुर्वेदी (मध्यप्रांत-निवासी)। कविता-काल-सं० १९८० ॥ अंथ- स्फुट छंद तथा पन्न-संपादन । विवरण-आप कर्मवीर के संपादक हैं । आपके साहिस्थिक महस्व के विषय में कतिपय महाशयों की सम्मति ऊँची है । आप एक सुकवि और सुलेखक हैं। !! . । !!: