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मिश्रबंधु

सं० १९०६ उत्तर नूतन कहा अवस्थी ( १६४) तथा देववत शास्त्री (१९८४) हैं। इतरों ने भी इस विषय पर लिखा है, किंतु इन महाशयों ने इसी की मुख्यता रक्खी है । पत्र-संपादकों में ईश्वरीप्रसाद शर्मा (१९७६), माखनलाल चतुर्वेदी (१६८०), रमाशंकर मिन (१९८७), दुलारेलाल भार्गव ( १९:०), हेमचंद्र जोशी (१९८०), आनंदी- प्रसाद मिश्र (१९८३), जगन्नाथप्रसाद मिश्र (१६३), कृष्ण- विहारी मिश्र ( १६७६ ), रामशंकर तेवारी, श्यामसुंदर चतुर्वेदी ( १९८६), रामसेवक त्रिपाठी आदि अनेक महाशय हैं । इस विषय की दिनोंदिन उन्नति हो रही है, किंतु अस्थायी विभाग की दशा अभी संतोपदायिनी नहीं है, जैसा ऊपर चुका है। बैंकटेशनारायण तेवारी, ज्योतिप्रसाद निर्मल आदि भी अच्छे पन्न-संपादक हैं । पुस्तक-संपादकों में सूर्यकरण पारीक (१९८७) तथा दुलारेलाल भार्गव मुख्य हैं, विशेषतया द्वितीय महाशय । उपयोगी विषयों में शंकरराव जोशी (१९७६) का विवरण देखना चाहिए। हास्य-रस में बदरीनाथजी भट्ट ( १९८० ) प्रधान हैं । प्रेमात्मक, प्रालंकारिक व्यंग्य-चिन्न श्रादि में अभी तक कोई नहीं है। महाराजाओं में इस काल श्रीमान ओरछा-नरेश महेन्द्र महराजा वीरसिंह देव कथनीय हैं। आपने हॉकी खेल पर एक अच्छी पुस्तक स्वयं लिखी है तथा श्रापके दरवार में कवियों का अच्छा मान है । शास्त्रकारों में धर्मेंद्रनाथ शास्त्री ( १६७६ ), प्रसिद्धनारायण- सिंह ( १६०), अवधकिशोर वर्मा (१९८२), तथा चंद्रशेखर ५. शास्त्री ( १६८२ ) के नाम हैं । पौराणिक विषयों पर कोई नहीं है । नाटककारों में मधुवनी ( १६७७), हरद्वारप्रसाद (१९७७) तथा बलदेवप्रसाद मिश्र (१९८०) हैं। इनमें अभी सक किसी की मुख्यता नहीं है। समय पर ये भी महत्वपूर्ण हो सकते हैं। औपन्यासिका .?