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मिश्रबंधु

४४ मिश्रबंधु-विनोद दासी बया कहे गुरु-मय्या ने; मुझ सुलाया सोई मुलाने । नाम-(४६३) बस्वलिंग, महाराष्ट्र-देश । काल-सं० १७३५। "विवरण- यापकी रचना मिश्रित है। नाम-(४३८) मानसिंहजी, (महाराजा) कृष्णगढ़। जन्म-सं० १७१२, भादौ सुदी ६ को माडलगढ़ में । रचना-काल-सं० १७३७ । रण-महाराज सिंह के पुत्र तथा कवि थे। आपने शाहजादे मुअज्जम के साथ कलकत्ते की यात्रा की । महाकवि द का श्राप विशेष सम्मान करते थे। तैलंगा ब्राह्मण भट्ट विठ्ठलनाथजी से आपने 'संप्रदाय-कल्पद्रुम' की रचना कराई । नाम -(४६४) रायमल । ग्रंथ-आदिपुराण। रचना-काल-सं० १७३७ । विवरण-ग्रंथ में जैनतीर्थंकर आदिनाथजी का चरित्र वर्णित है। यह एक विशाल जैन-साहित्य-संग्रह है। नाम-(४६९) केशवस्वामी मागानगरकर, हैदराबाद (निजास)। ग्रंथ --- एकादशी-चरित्र एवं स्फुट । कविता-काल-सं० १७३६ । विवरण-यह रामदासजी (शिवाजी के गुरु) के समय के साधु- पंचायतम में से एक थे। इनके पिता श्रात्माराम पंत, तानाशाह नामक कुतुबशाह के कारबारीथे (देखो विनोद द्वि० भाग, पृष्ट ४३६) ।