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मिश्रबंधु

प्राचीन कविगण कविता-काल-सं० १७३५ । विवरण-यह औरंगजेब बादशाह के समकालीन, साधु पुरुष और फ़ारसी के ज्ञाता थे। कहा जाता है, उक्त शाह इनकी भेट - से प्रसन्न हुआ था। उदाहरण- चलो भाई, दत्तनगर कोइ आवेगा, आवेगा, सुख पावेगा। जावेगा, पछतावेगा, जस के हाथ बिकावेगा । सत्यलोक से आगे चलना, वैकुंठ में नाहीं रहना ; कैलास को पीछे डालना, गुरु के पीछे-पीछे चलना । निराकार के तख्त सँवारे, दत्त निरंजन राजा; आत्माराम कहे घर अपना, बाजे अनहद बाजा । नाम-(६) नाथस्वामी, महाराष्ट्र प्रांत । ग्रंथ-खुशरंगहज़ारा (हिंदी-ग्रंथ)। कविता-काल-सं० १७३५। विवरण-संभवतः यह नाथ-पंथी साधु थे नाम--(४६३ ) बयाबाई. महाराष्ट्र-प्रांत । ग्रंथ-स्फुट । कविता-काल-सं० १७३५ । विवरण --यह समर्थदासजी की शिष्या थी । इनकी कविताएँ भक्ति-भाव से पूर्ण हैं। उदाहरण- पद बाग रंगीला महल बना है; महल बीच झूलना खुला इस मुलने पर झूलो भाई , जनम-मरन की भूल न आई। । ।