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मिश्रबंधु

सं० १९७१ उत्तर नूतन १६३ लरल अर्थ गंभीर सरस रसना रस च्यापिनि, विविध भाँति बुध गुण गुणीन प्रथन मत भापिनि । धन वे पुरुप अखेद भेद जिन तुव पहिचानो, शुचि संतति संपत्ति सत्य ग्रह सुख अनुमानो। जिहि रीति व्याप्त तुव जगत महँ तसन अन्य भाषा गती; जय हिंद-निवासिनि सुखपदा जय श्रीभापा भगवती। -(४२०० ) महावीरसिंह वर्मा। विवरण-अटिया, जिता उन्नाव-निवासी चंदेल क्षत्रिय । नाम----( ४२०१) राजहंसप्रसाद, उपनाम हंस। जन्म-काल-सं० १९४६ । ग्रंथ-स्फुट कविता। विवरण--यह धौलपुर-निवासी आजकल मालाबाद में रहते हैं। उदाहरण- बोलेंगे न झूठ हम सत्य को तजेंगे नाहि, चित्त दृढ़ राखि हम मन ना ढिगावेंगे; रण को निमंत्रण लै बैठि रैहैं गेह नाहि, आगे ही धरेंगे पाय पीठ ना दिखावेंगे। भीर परे स्वामी हित दंगे हम प्राण वारि, जननी को दूध कभी भूलि ना लजावेंगे; भूलेंगे न भूलि केहू यात बाप-दादन की, छबिन के छौना हम श्रान को निभावेंगे। नाम-(४२०२) शिवकुमार ब्राह्मण, ग्राम मच्छागर, पो० मंसूरगंज । जन्म-काल--सं० १६४६ । नाम-(४२०३) सूर्यनारायण पांडेय ( रविदेव ), पैतेपुर, जिला बाराबंकी।