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मिश्रबंधु

सं० १९. उत्तर नूतन - . उदाहरण अध्वर के अध्व को प्रचार कर अधुता ते, वेदमत गासिन को सुखदा सुजान भो। धर्म को सुधारो धर्स मर्म को विचारयो यातें, काट कलिकाल बीच कृतयुग मान भो। शिक्षा रूप भयो भूरि इतरि बराटन कों, पाटन को छोनी तल सुयश बितान भो। कृष्णगढ़ धरा धन्य धरापति अति धन्य, जामे हू अनन्य धन्य जाहिर जहान भो । नाम--( ४७१) खगेश कवि (श्यामलाल)। जन्म-काल--सं० १९४५ नाम-(४१७२ ) गंगानारायण द्विवेदी, लखनऊ-निवासी। जन्म-काल-लगभग सं० १९४६ । रचना-काल-सं० १९७० विवरण-कन्यकुब्ज-कॉलेज, लखनऊ में अध्यापक । स्फुट पद्यकार। नाम-( ४१७३ ) गोविंद शुक्ल । श्राप दामोदरपुर, जिला भागलपुर-निवासी सरयूपारीण ब्राह्मण हैं। हिंदी से विशेष प्रेम रखते हैं । नाम-(४१७४) चुन्नीलाल पांडेय । जन्म-काल-सं० १९४५। ग्रंथ--(१) पद्यपुष्प-माला, (२) स्फुट कविता । विवरण -श्राप कृष्णानंद पांडेय के पुन तथा गर्ल्स स्कूल. मुजफ्फरनगर में संस्कृताध्यापक हैं। उदाहरण- कोकिल की कल कुक कलेजा हूक उठावत एक निराली%B आग लगी-सी लगे बन में मोहि टेसुन की लखि के नवलाली।