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मिश्रबंधु

१२. मिश्रबंधु-विनोद सं.१९९३

आदि पन्न-पत्रिकाओं में निकल चुकी हैं। [श्रीयुत प्रसिद्धनारायण वर्मा गहमरीजी से ज्ञात ] । उदाहरण- उडु गन हो तुम चमक रहे इतरा-इतराकर । श्वेत अंग निज देख गर्व करते इठलाकर । गगन-श्यामता पेखि सदा हँसते रहते हो बसे उसी के मध्य कृतघ्नी क्यों बनते हो। रखना इसका ध्यान तुरत फल मिल जावेगा; हो जानोगे म्लान कलेजा हिल जावेगा। इसी कालिमा गगन-मध्य ते रवि प्रगटेगा; होगे श्रोझल शीघ्र, तुम्हारा दर्प मिटेगा। नाम--(४०३६ ) बदलूप्रसाद त्रिपाठी, करबिगवाँ, कानपुर। ग्रंथ-(1) गूढार्थ-संग्रह, (२) मायांकुर-संग्रहावली, (३) बारहमासा ( सागर ), ( ४ ) बारहमासी विरह-मंजरी, (२) बारहमासा विरभार। नाम-(४०४० ) बाँकेलाल चौबे, मंगलपुर, जिला कानपुर। जन्म-काल-सं० ११३८ । ग्रंथ-(१) स्फुट छंद, (२) सतसई (अपूर्ण), (३) वाणी-विनोद, (४) स्वप्न-सुंदरी, (५) बारहमासा, (६) माखन लीला, (७) द्रौपदी-नाटक, (८) चौबे-चौमासा, (६ ) राम-शतक, (१०) तिलकोत्सव, (११) विद्याबाला, (१२) वैद्य बाँके । नाम---(४०४१) बुद्धिसागर मिश्र । जन्म-काल-सं० १९४३ । रचना-काल-सं० १६३ । अंथ-(.)विनयवावनी, (२) चारुचंद्रिका, (३) ईश-विनय, (४) अरुणदुर्ग, (५) इज्जत वेग ।