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मिश्रबंधु

. मिनबंधु-विनोद सं० १९६९ नास--( ३६०७) रामदेवजी प्रोफेसर। इनका जन्म सं० १६३६ में हुा । इस लमय श्राप गुरुकुल काँगड़ी में अध्यापक हैं । इनका बनाया भारतवर्ष का इतिहास प्रशंसनीय है। यह बड़ा गवेपणा-पूर्ण ग्रंथ है। ऐसे ग्रथों की इस समय आवश्यकता है । और भी कई ग्रंथ श्रापने बनाए हैं । नाम-(३६०८) हरिदत्त 'दोन' । जन्म-काल-सं० १९२१ । रचना-काल-सं० १९६४ । ग्रंथ-(१) प्रबंध-दीपक, (२) सामान्य नीति, (३) दीन- विनोद, (४) ध्रुव-चरित्र, (५) सदार्थ-धर्म-रहस्य, ( ६ ) सुवर्ण- माला, (७) माप-नियम-चंद्रिका, (= ) संगीत-रामायण । खेमीपुर जिला आजमगढ़ के निवासी । सरयूपारीण ब्राह्मण पं० प्रयागदत्त त्रिपाठी के श्राप पुत्र हैं। श्राप एक सुकवि हैं। उदाहरण- कहे जात न्यारे हैं अभिन्न जल बीच चार सत चित आनँद सरूप गुण-धाम हैं भक्तन के हेत बार-बार अवतार धरि जग बीच चरित पसारत ललाम हैं। भिन्न-भिन्न देश में अनेक भाँति पूजे जात, भिन्न-भिन्न भाषा में अनेक जाके नाम हैं; अहैं द्विज 'दीन' गौरी शंभु राधा-श्याम जग जननी-जनक लो हमारे सियराम हैं। समय-सं० १९६५ नाम-(३६०६ ) कृष्णकांत मालवीय, प्रयाग-निवासी। जन्म-काल-लगभग सं० १९४०। रचना-काल-सं० १९६५।