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मिश्रबंधु

सं.१९९. पूर्व नूतन २५६ भवानीशंकर भतीजे हैं। इन महाशयों के लेख बहुधा खोज, इतिहास, पुरातत्व श्रादि पर होते हैं । जीवनशंकरजी स्वार्थ-पत्र के संपादक भी थे। श्राप महाशयों ने कई कवियों के विषष में विनोद- संबंधी कार्य में हमारी सहायता की, जैसा कि स्थान-स्थान पर लिखा. हुश्रा है। आपके लेखों में खोज, विद्वत्ता और श्रमशीलता के उदाहरण मिलते हैं। नाम--(३५७४ ) रामनारायण मिश्र सांख्यरत तथा काव्य. तीर्थ, पारा, हाल छपरा। जन्म-काल-सं० १९४३ । कविता-काल--सं० १६६० । ग्रंथ-(१) जनक-बाग-दर्शन नाटक, (२) कंस-वध-नाटक, (३) विरुदावली, (४) भक्ति-सुधा, (१) स्फुट काव्य गद्य तथा पद्या विवरण-संस्कृत के बहुत अच्छे विद्वान हैं। सरकार से काव्य- तीर्थ तथा कलकत्ता-युनिवर्सिटी से सांख्यरत्न की उपाधि मिली। भापा गद्य तथा पद्य के आप अच्छे लेखक हैं। दो नाटक भी आपने बनाए हैं। नाम-(३५७५) रूपनारायण पांडेय, लखनऊ । जन्म-काल-सं० १९४१। रचना-काल-सं० १९६० । अंथ-(8) शिवशतक, (२) श्रीकृष्णमहिम्न, (३) गीत- गोविंद की टीका, (४) स्मा उपन्यास, (१) पतित-पति उपन्यास, (६) गुप्तरहस्य उपन्यास, (.) हरीसिंह नलवह, (८) आँख की किरकिरी उपन्यास, (6) फूलों का गुच्छा, (१०) चौबे का चिट्ठा, (१) नीति-रल-माला, (१२) कृष्ण-